Chanakya Niti इस तरह कमाया हुआ पैसा इंसान को कर देता है कंगाल, दरिद्रता नहीं छोड़ती पीछा : आचार्य चाणक्य ( Acharya Chanakya ) एक ऐसे विद्वान थे, जो अपनी विष्णुगुप्त कूटनीति, अर्थनीति, राजनीति के महाविद्वान और अपने महाज्ञान को लेकर दुनिया में जाने जाते हैं। चाणक्य एक बड़े राजनितीज्ञ और महान अर्थशास्त्री थे। उन्हें हर क्षेत्र का ज्ञान था। चाणक्य ने अपने इस ज्ञान का एक संग्रह बनाया था, जिसको चाणक्य नीति ( Chanakya Niti ) कहा जाता है। इन नीति के कुल 17 अध्याय है, जिसमें इंसान के जीवन की सफलता के कई राज लिखे हैं। चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र में जीवन के हर पहलू के बारे में विस्तार से बताया है।
चाणक्य नीति में लिखे हैं जीवन के कई राज
अपनी नीतियों का द्वारा चाणक्य ने जरूरी और कड़े संदेश भी दिए हैं, जिसमें उन्होंने धन, संपत्ति, स्त्री, दोस्त, करियर और दांपत्य जीवन से जुड़ी तमाम बातों का जिक्र किया है। साथ ही चाणक्य ने अपनी नीति ( Chanakya Niti ) मों बताया है कि इंसान कैसे अपने जीवन में सुख और सफलता को हासिल कर सकता है। चाणक्य नीति ( Acharya Chanakya Niti ) में जीवन से जुड़ी कई परेशानियों का हल बताया गया है। चाणक्य ने अपने ग्रंथ में उन सभी बातों का जिक्र किया है जो जीवन में लाभदायक साबित हो सकती। अगर इंसान इन बातों को ध्यान में रखकर अपने जीवन में कर लें तो वो किसी भी परिस्थिति में जीत हासिल कर सकता है।
ऐसा पैसा इंसान को बना देता है कंगाल
आचार्य चाणक्य ने अपने ग्रंथ में उन आदतों या उन लोगों के बारे में भी बताया है जो हमारी सफलता में बाधक बनते हैं। इतना ही नहीं चाणक्य ( Chanakya Niti ) ने अपनी नीति में धन कमाने के तरीके के बारे में कुछ बातें लिखी हैं। आचार्य चाणक्य बताते हैं कि गलत तरीके से कमाया हुआ पैसा इंसान के पास ज्यादा दिन नहीं टिकता है। चाणक्य कहते हैं कि ऐसी संपत्ति का विनाश होना तय है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र में श्लोक का जिक्र किया है, जिसमे गलत तरीके से कमाए गए धन के बारे में बताता है।
अन्यायोपार्जितं वित्तं दशवर्षाणि तिष्ठति।
प्राप्ते चैकादशे वर्षे समूलं तद् विनश्यति।। Chanakya Niti
अपनी नीति ( Chanakya Niti ) के इस श्लोक में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मां लक्ष्मी चंचल होती हैं। ऐसे में अगर इंसान चोरी, जुआ, अन्याय या किसी को धोखा देकर पैसा कमाता है तो वो पैसा जल्द ही खत्म हो जाता है। इसलिए इंसान को कभी भी गलत तरीके से पैसा नहीं कमाना चाहिए।
आत्मापराधवृक्षस्य फलान्येतानि देहिनाम्।
दारिद्रयरोग दुःखानि बन्धनव्यसनानि च।। – Ethics Of Chanakya
चाणक्य इस श्लोक में कहते हैं कि निर्धनता, रोग, दुख, बंधन और बुरी आदतें ये सभी इंसान के कर्मों का ही फल होती हैं, जो जैसा बीज बोता है उसे वैसा ही फल भी मिलता है। इसलिए इंसान को हमेशा अच्छे ही काम करने चाहिए।
धनहीनो न च हीनश्च धनिक स सुनिश्चयः।
विद्या रत्नेन हीनो यः स हीनः सर्ववस्तुषु।।
Ethics Of Chanakya Niti : चाणक्य नीति के इस श्लोक का अर्थ है कि किसी भी इंसान को कभी गरीब या धनहीन नहीं समझना चाहिए। इंसान अज्ञान से हीन होता है न कि धन से, जो इंसना विद्या के रत्न से हीन होता है असल में वही सभी तरह के सुख-सुविधाओं से हीन हो जाता है। इसलिए इंसान को कभी भी विद्या पाने से पीछे नहीं हटना चाहिए।
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